भरे तो कैसे परिंदा भरे उड़ान – Hindi Kavita by Zaki Tariq
भरे तो कैसे परिंदा भरे उड़ान कोई नहीं है तीर से ख़ाली यहाँ कमान कोई थीं आज़माइशें जितनी तमाम मुझ पे हुईं न बच के जाएगा अब मुझ से इम्तिहान कोई ये तोता मैना के क़िस्से बहुत पुराने हैं हमारे अहद की अब छेड़ो दास्तान कोई नए ज़माने की ऎसी कुछ आँधियाँ उट्ठीं रहा सफ़ीने […]