तेरे प्यार की छाँव – Kavita – by Sanchita Shukla (Kavitalay Member)
तेरे प्यार की छाँव की आस है मैं किसी धूप सा जलता फिरता हूँ दूर कर दिया तूने मुझे खुद की गर्मी से मैं किसी बर्फ़ सा हर रोज़ ही जमता हूँ बरस पाऊँ बारिश सा सावन में कभी मैं कही बादल सा आवारा फिरता हूँ सहलाती है ठंडी हवा गालों को तेरे मैं तूफ़ानों […]