किसी का खयाल तुम्हारे जेहन में जब ठहरने लगे
कहो ये दिल से उसी दिन से वो सम्भलने लगे।
वो एक शख्स जो सामने हो तो खुश होऊँ मैं
अश्क आ जाएं गर सपनों में भी बिछड़ने लगे।
अभी देखा ही कहाँ उसका हुनर तुमने ऐ लोगों
वो जरा जुल्फें गिरा दे तो शाम ढलने लगे।
अभी मैं चुन ही रहा था पुराने ख्वाब के टुकड़े,
कि नए ख्वाब इन निगाहों में फिर से पलने लगे।
दिखाई थी जिनको कभी हमने ही उनकी मंजिल,
देख कर हमें अब वो हैं अपने रास्ते बदलने लगे।
जिनके वजूद का अहसास तक नहीं दुनिया को,
हैं अब ऐसे लोग भी खुद को खुदा समझने लगे।
--तुषार श्रीवास्तव
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