समाज के बंधनों से दुनिया की रिवायतों से वो डर जाएगी वो लड़ नही पाएगी। कमजोर करती वैचारिकी से छोटा करते विचारों से वो डर जाएगी वो लड़ नही पाएगी। कुरितियों की धूप से असमानता की आँधी से वो डर जाएगी वो लड़ नही पाएगी। अगर निडर होकर समाज में आगे आएगी बंधनो को तोड़कर निर्भया दिखलाएगी आँधी ओर धूप उसका कुछ नही कर पाएगी वो डर के नही जाएगी वो लड़कर जीत के दिखाएगी।। --Sanchita Shukla

पुरातन विचारों से लड़कर ही आज नारी जीवन के इस अहम मुक़ाम पर पहुँची है।आपने बहुत बढ़िया लिखा है।
जी बहुत शुक्रिया ♥️