प्रेम गीत (श्रृंगार रस)
आँखें क्यों सटती नहीं लगतें पलक ना रात।
क्यों साजन कि चिंता लगी, जानें क्या है बात!
वैसे तो साजन हैं हमारें, एक लाखों में एक
रे बदरा लेकर आ सन्देश,
रे जा जा लेकर आ संदेश..।
कर्म बनें तो सब बने खेत बारी खलिहान
देख ज़रा तू मुझे बता दें, क्या है उनका हाल!
मेरी तो सासें हैं थम गई, धड़कन हो गयी तेज
रे बदरा लेकर आ सन्देश,
रे जा जा लेकर आ संदेश..|
आयु आरोग्य बढ़ता रहें करतीं हूं उपवास!
हो ग्रह की दृष्टिदोष तो रखना हिम्मत आस।
किसी पंडित से खुद को दिखालें, क्या बिधूना का लेख।
रे बदरा लेकर आ संदेश,
रे जा जा लेकर आ संदेश…|
आँखे क्यों सटती नही,पलक लगें ना रात!
क्यों साजन की चिंता लगी, जानें क्या है बात।
वैसे तो साजन हैं हमारें, एक लाखों में एक
रे बदरा लेकर आ सन्देश,
रे जा जा लेकर आ संदेश…|
--Pt Utkarsh Chaturvedi
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