सवाल किया है तो जवाब भी सुनिए दबी आवाज़ों का इंक़लाब भी सुनिए| सिर्फ सिखाते ही मत रहिए बच्चों को उन की निगाहों का ख्वाब भी सुनिए| कितना रोक सकेंगे नदी को बाँधों में बलखाती पानी का रूबाब भी सुनिए| सब कुछ लिख डाला अमीरों के नाम एक दिन गरीब का अभाव भी सुनिए| मर्द होके हर बात पे परेशाँ हो जाते हैं सहमी हुई औरत का दबाव भी सुनिए| किस तरह से तुमको अच्छा ही सुनाए हम से कभी तो कुछ खराब भी सुनिए| --सलिल सरोज
