किसी के जाने के बाद यार क्या-क्या नहीं बदलता।
पहले मैं डीपी बहुत बदलता था यार अब नहीं बदलता।
कभी वह पास से गुजर जाती थी,
तो क्या-क्या बदल जाता था,
और अब अगर गुजरे तो मेरा मूड तक नहीं बदलता।
तू अचानक कितनी बदल गई मगर ताज्जुब है,
अभी तक मेरे जहन में,
तेरा फोटो तेरी यादों का मंजर नहीं बदलता।
यूं तो ख्वाब और सपने वक्त के पाबंद हैं,
लेकिन सभी का एक ख्वाब ऐसा है,
जो ताउम्र नहीं बदलता।
तू जिस्म में होता तो मैं भी बदल देता तुझको,
तू रूह में शामिल है यार,
तू मुझसे नहीं बदलता।
तुम्हारे दिए हुए गुलाब
अब हाथों में चुभने लगे हैं,
कौन कहता था गुलाब कांटों में नहीं बदलता।
दुनिया कहां से कहां पहुंच गई यार,
तू कैसा पत्थर है जो कभी नहीं पिघलता|
--अर्पित ठाकुर
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