गर एक नज़र मेरी ओर
देखने की जिम्मेदारी तुम ले लो,
तो तुम्हें अपनी आँखों में
छिपाने का जिम्मा मैं ले लूँ।
गर अपने खुले केशों को
झटकने की जिम्मेदारी तुम ले लो,
तो घनघोर घटाओं के
घिरने का जिम्मा मैं ले लूँ।
गर अपनी आँखों में
काज़ल लगाने की जिम्मेदारी तुम ले लो,
तो अमावस की काली
रात्रि लाने काजिम्मा मैं ले लूँ।
गर कलाई में चूड़ी की
खनखनाहट की जिम्मेदारी तुम ले लो,
तो पुरवईया की सरसराहट
लाने का जिम्मा मैं ले लूँ।
गर अपने हाथों पर
मेहँदी लगाने की जिम्मेदारी तुम ले लो,
तो उन पर मार्तण्ड की
अरुणाई का जिम्मा मैं ले लूँ।
गर पाँव में बांध पायल
छमकाने की जिम्मेदारी तुम ले लो,
तो बिन बदरी बरखा
कराने का जिम्मा मैं ले लूँ।
गर खुद को साड़ी में
सजने-सँवारने की जिम्मेदारी तुम ले लो,
तो तुम्हारी खूबसूरती को अपनी
लेखनी से पिरोने का जिम्मा मैं ले लूँ।।
-- Arvind Maurya "अवि"
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