ओ मेरे मन के मीत सुनाओ दर्द भरे गीत टूट रहा है बांध मेरे सब्र का मिट रहा है चिन्ह यादों के कब्र का अतीत हो गया है मेरे खुशी का मेला तनहाई के पलों में नितांत हूं अकेला बोल,अपने जुबां को खोल अब और न सता,बता मेरी खता कहा है तू, क्या है तेरा पता? आओ,गुनगुनाओ, छेड़ो संगीत ओ मेरे मन के मीत सुनाओ दर्द भरे गीत| --ॐ नीलाम्बर
