प्रेम अक्सर रहा है विरह और व्यथा,
इक भरोसा मिले तो नई बात हो।
चंद लम्हो के किस्से बहुत आम है,
जो जनम भर चलो, तो नई बात हो।
तुमसे चेहरे जहां में हजारों हसीं,
फिर भी मन बावरे ने तुम्हें ही चुना,
ज़ख्म तो दिल को मिलते रहे अब तलक,
गर जो मरहम बनो तो नई बात हो।
इश्क में बेख्याली रही इस कदर,
लोग यूँ ही हमें आजमाते रहे,
यूँ तो बूंदों ने अब तक भिगोया हमें,
तरबतर कर सको तो नई बात हो।
इक हसीं ख्वाब से हो शुरू सिलसिला,
बेरुखी से कयामत पे आकर रुके,
बेवफ़ाई के चर्चे बहुत आम है,
हो मुकम्मल वफ़ा तो नई बात हो।
हर जुबां ने लिया इश्क़ का जायका,
हर किसी को नही हो सका ये हज़म,
इश्क़ को ये जमाना कहेगा ख़ता,
गर ख़ता कर सको तो नई बात हो।
इश्क में बेतहाशा है रंगीनियां,
लोग अक्सर यहाँ घर बदलते मिले,
एक कदम दो कदम तो चले हर कोई,
हमसफर बन सको तो नई बात हो।
--Sumit Vijayvargiya
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