अनजाने से चेहरों को है
दोस्त बनाता कवितालय
पथ से भटके लोगों को है
राह दिखाता कवितालय
कभी कृष्ण सा सारथी बनकर
ज्ञान बढ़ाता कवितालय
कभी विरह के अनुभव से
है खूब रुलाता कवितालय
राजनीति से परे बैठकर
सुख-दुख बतलाता कवितालय
कभी शाम हमराह बनके
प्यार सिखाता कवितालय
कभी नशे में चूर स्वप्न को
जमी पे लाता कवितालय
कभी पुराना साकी बनके
जाम पिलाता कवितालय||
--Ajay Tangar

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