गिला सारा निकल जाएं,
अगर तुम मिलने आ जाओ,
ये दिल फिर से बहक जाएं
अगर तुम मिलने आ जाओ।
जहाँ में सब हमारे है ,
अगर रूठे हो तुम हमसे,
बगावत फिर से हो जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ।
गुलिस्तां फिर महक जाएं,
अगर तुम मिलने आ जाओ,
दफ़न दरिया मचल जाएं,
अगर तुम मिलने आ जाओ।
हजारों रंज दर्द ए गम
दफ़न है मेरे सीने में,
जमानत इनको मिल जाएं
अगर तुम मिलने आ जाओ।
यकीं उल्फ़त पे आ जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ,
ये दिल हरक़त में आ जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ।
तुम्हारे बिन हर इक जर्रे में,
आलम तीरगी का है,
चरागा जश्न हो जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ।
अश्क नायाब हो जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ,
सनम आदाब हो जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ।
खुदाया शुक्र है तेरा,
अता की सुर्खियां मुझको,
मगर बदनाम हो जाएं,
अगर तुम मिलने आ जाओ।
ग़ज़ल गुलफाम हो जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ,
ये चर्चा आम हो जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ।
हर इक ख्वाहिश अधूरी है,
बिना उसकी इनायत के,
करम सरकार हो जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ
--Sumit Vijayvargiya
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