देश आज पूछता सवाल है।
कहाँ गयी चमक- दमक
प्रखर कुँअर-कटार की,
प्रवाह, वो रवानियाँ
उछाल सिन्धु - धार की।
जाति, धर्म, नस्ल का बवाल है।
देश आज पूछता सवाल है।
गीत वो रवीन्द्र के
कहाँ गये भगत, तिलक?
सुभाष - सा न तप कहीं
नजर गयी जहाँ तलक।
स्वार्थ तज सके न हम मलाल है।
देश आज पूछता सवाल है।
कहाँ गये वो पार्थ
जो शरों से काँपती धरा,
भूगोल था बदल गया
अधर्म था विकल, डरा।
मानवों का हो रहा हलाल है।
देश आज पूछता सवाल है।
कहाँ गयी वो आग है,
जहाँ असीम ताप था,
झुलस गयीं कुरीतियाँ
जला जघन्य पाप था।
खून में रहा न क्यों उबाल है?
देश आज पूछता सवाल है।
--अनिल मिश्र प्रहरी।
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