आया सावन देखो सखियों ये मन को हर्षाए,
डाल- डाल पर कोयल बोले मनवा नाचे गए।
मनवा हिलोरे खाता सबका बागों के झूलों पर ,
मोर नाचता देखो सखियों मोहन की वंशी पर।
सज-धज तीज मनाती देखो गौरा को मनाये,
और शिव जी से अचल सौभाग्य का वर पाये।
झूम रही है डाली - डाली सावन के गीतों पर,
बांध रही है देखो राखी भईया के हाथों पर।
करेंगे रक्षा सभी बहन की देते आज वचन हैं,
इस धागे की खातिर उठते वीरों के शव हैं।
भेज हुमायूं को एक धागा जिसने रीत चलाई,
जग में भाई - बहन के अमर प्रेम की गाथा गाई।
साथ भले ही छूटे , प्रीत न उनकी टूटे,
कभी न एक बहन से उसका भाई रूठे।
जब - जब आये पर्व ये सबके मन को भाये,
और हरियाली सावन की जीवन से कभी न जाये ।
--Anju Vaish
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